Tuesday, May 25, 2010

चाँद की प्रेयसी

चाँद की आँखों से आज मैंने चांदनी देखी
जैसे मौत की सांसों में बस रही ज़िन्दगी देखी
जब तारों की डोली में बिठा उसे किया रुखसत
मैंने माशूक की आँखों में दबी बेबसी देखी

सात घोड़ों पे सवार फिर माशूका का दूल्हा आया
साथ अपने चमन के फूल और हसीं वादियाँ लाया
कोयल ने पंचम में बजायी शेहनाई
और ओस की नमी ने दुल्हन को दी बिदाई

फिर चाँद मैखाने में गया और बाराती अपने घर को
सूरज की तपिश में किसी ने ना उसे जलते देखा
फिर स्याह काली रात में आशिक को तड़पते देख
वो मिली उससे और पूरी कायनात ने उसे बिखरते देखा

3 comments:

Tripti said...

yeh aapne likha hai????

brownian motion said...

mera blog hai to main ki lihoongi na! :P didn't like it?

elixir_of_life said...

simply awesome... it takes time to absorb but it's simply beautiful ... keep it up!! hoping to read more of your writings... gud luck !!